मध्य प्रदेश: सावन का महीना हिन्दू धर्म में भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पवित्र माह में शिव भक्त विभिन्न प्रकार के अनुष्ठानों और पूजाओं के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। परन्तु इस बार एक अनोखी घटना ने सभी को हैरान कर दिया। […]
मध्य प्रदेश: सावन का महीना हिन्दू धर्म में भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पवित्र माह में शिव भक्त विभिन्न प्रकार के अनुष्ठानों और पूजाओं के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। परन्तु इस बार एक अनोखी घटना ने सभी को हैरान कर दिया। इस मामले में शिव भक्त ने कहा कि वह रोजाना रामायण का पाठ करता है। रामायण के अनुसार जैसे रावण ने अपने शीश को महादेव को अर्पित किया था, उसी तरह वह भी भगवान शिव को रक्त से अभिषेक कर प्रसन्न करने प्रयास कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक यह मामला मध्य प्रदेश के उज्जैन के ढांचा भवन इलाके का है। यहां रहने वाले रौनक गुर्जर ने भगवान शिव का अभिषेक रक्त से किया। इस मामले में शिव भक्त रौनक गुर्जर का कहना है कि वह काफी समय से रामायण का पाठ कर रहे हैं और वह राम से प्रभावित हैं। रौनक गुर्जर रावण के शीश चढ़ाने के घटनाक्रम से काफी प्रभावित हो गए और भगवान शिव का सावन के महीने में रक्त अभिषेक करने का फैसला कर लिया। इतना ही नहीं रौनक गुर्जर ने पूरे विधि-विधान के साथ और मंत्रोचार के साथ पंडित और पुरोहितों द्वारा रक्त अभिषेक किया।
इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। लोग रौनक गुर्जर की भगवान शिव के प्रति ऐसी भक्ति देख कर काफी हैरान हो गए हैं। इस घटना ने सावन के पवित्र महीने में शिव भक्तों के बीच एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो लगभग 4 मिनट 30 सेकंड का है। यह घटना उस समय हुई जब स्थानीय शिव मंदिर में नियमित पूजा चल रही थी। इस असामान्य कृत्य को देखकर वहाँ उपस्थित पंडित और अन्य भक्त अचंभित रह गए। इस घटना से स्थानीय लोग भी हतप्रभ रह गए और उन्होंने इस प्रकार के अभिषेक को धार्मिक दृष्टिकोण से सही नहीं माना। इस मामले में महाकालेश्वर मंदिर के राम गुरु का कहना है कि महादेव केवल भावनाओं के भूखे है। महादेव को जल सबसे अधिक प्रिय है। यदि कोई भी भगवान शिव का सच्चा भक्त पूरी आस्था के साथ केवल जल और दूध से अभिषेक करता है तो भगवान इसी से ही अपने भक्त से प्रसन्न हो जाते हैं। इस तरह रक्त अभिषेक की सात्विक पूजा में कोई परंपरा नहीं है।
Also Read…