नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया जिसमें ‘आधार अधिनियम’ जैसे कानूनों को धन विधेयक के रूप में पारित करने की वैधता को चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन प्रमुख और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति […]
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया जिसमें ‘आधार अधिनियम’ जैसे कानूनों को धन विधेयक के रूप में पारित करने की वैधता को चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन प्रमुख और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच से आग्रह कर कहा कि दलीलें पूरी हो गई हैं और याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की जरूरत है. इस पर मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा जब मैं संविधान पीठ का गठन करूंगा, निर्णय लूंगा.
शीर्ष अदालत ने कहा है कि वह आधार अधिनियम जैसे कानूनों को धन विधेयक के रूप में पारित करने की वैधता पर विचार करने के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ का गठन करेगी. इस फैसले का मकसद सरकार द्वारा आधार अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में संशोधन को धन विधेयक के रूप में पेश करने और पास कराने के बाद उत्पन्न विवाद का समाधान करना है.
कांग्रेस नेता जयराम इसका स्वागत किया है. रमेश पोस्ट में लिखा है कि, “पिछले दस सालों में कई विधेयकों को संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत ‘धन विधेयक’ घोषित करके संसद से पारित कर दिया गया. इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2016 का आधार अधिनियम है. मैंने इसे धन विधेयक घोषित किए जाने को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, तब के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश ने अपने असहमतिपूर्ण फैसले में इस घोषणा को ‘संविधान के साथ धोखाधड़ी’ बताया था. मैंने अन्य उदाहरणों को भी चुनौती दी थी.
2014 से अनुच्छेद 110 के घोर दुरुपयोग पर दलीलों की सुनवाई के लिए एक अलग संवैधानिक पीठ गठित करने का मुख्य न्यायाधीश का फैसला एक स्वागत योग्य कदम है. उम्मीद है कि नवंबर 2024 में उनके रिटायर होने से पहले अंतिम और निर्णायक फैसला आ जाएगा.
धन विधेयक एक ऐसा विधेयक होता है जिसे सरकार केवल लोकसभा में ही पेश करती है. धन विधेयक को पास करने का अधिकार सिर्फ लोकसभा के पास है और देश का ऊपरी सदन राज्यसभा उस पर बहस या अहसमति नही व्यक्त कर सकता. राज्यसभा सिर्फ लोकसभा से सिफारिश कर सकती है जो लोकसभा मान भी सकती है और नही भी मान सकती है.
ये भी पढ़ें-Jammu-Kashmir: डोडा में सुरक्षाबलों के जाल में फंसे आतंकवादी, मुठभेड़ जारी
लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में कमजोर हुई बीजेपी, एक साथ 4 सांसदों का…