महंगाई का झटका: 16 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंची, सब्जियों की कीमतों ने तोड़ी कमर!

खाद्य वस्तुओं, खासकर सब्जियों और विनिर्मित उत्पादों के दाम बढ़ने से थोक महंगाई जून में 16 महीने के उच्चतम स्तर 3.36% पर पहुंच गई।

Advertisement
महंगाई का झटका: 16 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंची, सब्जियों की कीमतों ने तोड़ी कमर!

Anjali Singh

  • July 15, 2024 7:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: खाद्य वस्तुओं, खासकर सब्जियों और विनिर्मित उत्पादों के दाम बढ़ने से थोक महंगाई जून में 16 महीने के उच्चतम स्तर 3.36% पर पहुंच गई। यह लगातार चौथा महीना है जब थोक महंगाई बढ़ी है। मई में यह दर 2.61% थी, जबकि जून 2023 में यह शून्य से 4.18% बीच थी।

महंगाई के कारण

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि जून 2024 में महंगाई बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, खनिज तेल और अन्य विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि है। खाद्य वस्तुओं की महंगाई जून में 10.87% बढ़ी, जबकि मई में यह 9.82% थी। सब्जियों की महंगाई दर जून में 38.76% रही, जो मई में 32.42% थी। प्याज की महंगाई दर 93.35% और आलू की महंगाई दर 66.37% रही। दालों की महंगाई दर जून में 21.64% रही। फलों की महंगाई 10.14%, अनाज 9.27% और दूध की महंगाई दर 3.37% रही।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री का विश्लेषण

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार, जून 2024 में थोक महंगाई में व्यापक वृद्धि देखी गई। ईंधन और बिजली को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रों में दाम बढ़े हैं। अनुकूल तुलनात्मक आधार और वैश्विक जिंस कीमतों में थोड़ी नरमी के कारण जुलाई 2024 में थोक महंगाई 2% तक कम होने की उम्मीद है।

तेल की कीमतें और महंगाई

नायर ने बताया कि भारत के लिए कच्चे तेल की औसत कीमत जुलाई 2024 में अब तक अस्थिर रही है। मांग-आपूर्ति में अंतर के कारण मासिक आधार पर वृद्धि हो रही है। कच्चे तेल की ऊंची कीमतें इस महीने थोक महंगाई पर दबाव बढ़ा सकती हैं। ईंधन और बिजली की महंगाई दर 1.03% रही, जो मई के 1.35% से मामूली कम है। हालांकि, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की मूल्य वृद्धि 12.55% रही।

विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति

विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति जून में 1.43% थी, जो मई के 0.78% से अधिक है। जून में थोक महंगाई दर में वृद्धि, खुदरा महंगाई के आंकड़ों के अनुरूप थी। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, जून में खुदरा महंगाई बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.1% पर पहुंच गई है। भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से रिटेल महंगाई को ध्यान में रखता है।

महंगाई के इस बढ़ते स्तर ने आम आदमी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सब्जियों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों ने घरेलू बजट पर दबाव डाला है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को महंगाई पर काबू पाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है ताकि आम लोगों को राहत मिल सके।

 

ये भी पढ़ें: AC की सेल में आई तूफानी तेजी, 27,500 करोड़ के इस मार्केट में बड़ा बूम

Advertisement