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बिहार से पुश्तैनी जमीन बेचकर पढ़ने गये यूके, अब राजनीति में चमकी किस्मत!

नई दिल्ली: यूके में हुए चुनाव के नतीजे अब आ चुके हैं. इस बार चुनाव में लेबर पार्टी ने जीत दर्ज की है. ऋषि सुनक को हराकर लेबर पार्टी के नेता किएर स्टॉर्मर ने जीती है.

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बिहार से पुश्तैनी जमीन बेचकर पढ़ने गये यूके, अब राजनीति में चमकी किस्मत!
  • July 5, 2024 9:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 months ago

नई दिल्ली: यूके में हुए चुनाव के नतीजे अब आ चुके हैं. इस बार चुनाव में लेबर पार्टी ने जीत दर्ज की है. ऋषि सुनक को हराकर लेबर पार्टी के नेता किएर स्टॉर्मर ने जीती है. आपको बता दें कि ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में कुल सीट 650 है और इसमें बहुमत के लिए 326 सीटों की जरूरत होती है, लेकिन इस बार लेबर पार्टी ने इस आंकड़े को बहुत पीछे छोड़ दिया है. इस जीत में एक भारतीय चेहरा सामने आया है जो लेबर पार्टी के कनिष्क नारायण है. बिहार के मुजफ्फरपुर में जन्में कनिष्क नारायण ने वेल्श से जीत हासील की है.

कनिष्क नारायण जब 12 साल के थे तब भारत छोड़कर यूके पढ़ाई के लिए गए थे. वहां उन्हें स्कॉलरशिप तो मिली, लेकिन इसके बाद भी पढ़ाई पूरी करने के लिए उन्हें पैसों की आवश्यकता थी. ऐसे में कनिष्क नारायण के घरवालों ने बिहार में अपनी सारी पुश्तैनी जमीन बेच दी और इस त्याग का नतीजा आज परिवार को मिला है. कनिष्क नारायण की इस जीत से घरवाले फूले नहीं समा रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कनिष्क के लाइफ के बारे में.

साल 2007 में छोड़ दिया था बिहार

कनिष्क नारायण की बहन श्रेया नारायण ने मीडिया के बातचीत में अपने भाई की लाइफ से जुड़ी कई बातें बताई. उन्होंने बताया कि कनिष्क पढ़ने में बहुत तेज थे. साल 2007 में कनिष्क अपने पूरे परिवार के साथ यूके चले गए. उन्हें वहां स्कॉलरशिप तो मिली, लेकिन इसके बाद भी जब पैसों की आवश्यकता पड़ी तो घरवालों ने सारी पुश्तैनी जमीन बेच दी. कनिष्क नारायण वेल्स से जीत दर्ज करने वाले पहले भारतीय हैं.

राजेंद्र प्रसाद से रिश्ता

कनिष्क नारायण की जीत से पूरे परिवार में खुशी का माहौल हैं. कनिष्क नारायण के परिवार की अगर बात करें तो उनके पिता का नाम संतोष कुमार और मां का नाम चेतना सिंहा है. कनिष्क के रिश्तों के तार भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से भी हैं जो कनिष्क की दादी के दादाजी थे.

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