नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के बाद जेडीयू कार्यकारिणी की पहली बैठक दिल्ली में कल से होने जा रही है. खबर है कि राजनीति के चतुर सुजान नीतीश कुमार कोई बड़ा दांव चल सकते हैं. ऐसे ही खेला के तहत छह माह पहले नीतीश ने तत्कालीन अध्यक्ष ललन सिंह को हटाकर खुद अध्यक्ष बन गये थे. […]
नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के बाद जेडीयू कार्यकारिणी की पहली बैठक दिल्ली में कल से होने जा रही है. खबर है कि राजनीति के चतुर सुजान नीतीश कुमार कोई बड़ा दांव चल सकते हैं. ऐसे ही खेला के तहत छह माह पहले नीतीश ने तत्कालीन अध्यक्ष ललन सिंह को हटाकर खुद अध्यक्ष बन गये थे. अब खबर है कि वह अपने करीबी संजय झा को अध्यक्ष बनाकर भाजपा से तालमेल बिठाकर चलने कि जिम्मेदारी दे सकते हैं. संजय झा मूलत: भाजपा से हैं और माना जाता है कि उन्हीं की सलाह पर नीतीश ने महागठबंधन का साथ छोड़ा और पलटी मारकर भाजपा के साथ आये.
जनता दल यू कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक कल से होने जा रही है. इसमें दो मकसद से रणनीति बनाई जाएगी. पहला मकसद साधने के लिए नीतीश कुमार राज्यसभा सदस्य संजय झा को पार्टी अध्यक्ष बना सकते हैं. यदि वह खुद अध्यक्ष पद अपने पास रखते हैं तो उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकते हैं. यदि संजय झा अध्यक्ष बनाये जाते हैं तो सेवानिवृत्त आईएएस मनीष वर्मा को प्रधान महासचिव बना सकते हैं. संजय झा भाजपा के नजदीक हैं और उन्होंने दोनों को साथ लाने में अहम भूमिका निभाई थी. बैठक में पार्टी के विस्तार और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर भी चर्चा होगा. चूंकि अगले साल विधानसभा का चुनाव है इसलिए कोशिश होगी कि उसके लिए माहौल तैयार किया जाए.
इस दो दिवसीय बैठक का दूसरा मकसद अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को माना जा रहा है. एनडीए के साथ हाथ मिलाने के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी चीफ मिनिस्टर सम्राट चौधरी ने साफ कहा था कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा. माना गया कि सम्राट चौधरी का बयान दोनों दलों के बीच हुई डील के तहत आया था. नीतीश कुमार राजनीति के मझे खिलाड़ी हैं, वह अच्छी तरह जानते हैं कि भाजपा से कब और कैसे बात मनवाई जा सकती है.
संजय झा ने भाजपा से कराई दोस्ती
ललन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाने के बाद नीतीश ने उन्हें चुनाव की तैयारियों में लगा दिया था और इंडिया गठबंधन से अलग होने का फैसला खुद किया. ललन सिंह चुनाव जीते और उन्हें केंद्र में कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया. संजय झा रह गये क्योंकि सवर्ण समाज को दो मंत्री पद देना संभव नहीं था. संजय झा नीतीश कुमार के अति नजदीक हैं लिहाजा उन्हें भाजपा से दोस्ती कराने का इनाम मिल सकता है. अभी उन्हें राज्यसभा में जदयू संसदीय दल का नेता बनाया गया है जबकि सुपौल से दूसरी बार जीते दिलेश्वर कामत को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया है.
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