मौलवी की हर मस्जिद में खास जगह होती है, लेकिन कम ही लोगों को पता है कि आखिर इनका सिलेक्शन किस आधार पर किया जाता है.
कई लोगों के मन में ये सवाल होता है कि जाती के आधार पर किसी भी मौलवी को चुना जाता होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा नहीं है.
दरअसल मौलवी का चयन जाति के आधार पर नहीं होता है. मुस्लिम समुदाय का कोई भी शख्स चाहे वो अपर कास्ट का हो या लोअर कास्ट का, मौलवी बन सकता है.
हालांकि मौलवी बनने के लिए उस व्यक्ति को मुस्लिम धर्म की जानकारी होना जरूरी होता है. जो उसे पढ़ना भी जानता हो.
मौलवी का मतलब आम तौर पर एक उच्च योग्य इस्लामी विद्वान होता है, वो व्यक्ति जिसने मदरसा (इस्लामिक स्कूल) या दारुल उलूम (इस्लामी मदरसा) में अपनी पढ़ाई पूरी की हो.
यानी मदरसों से अरबी, हिंदी, उर्दू के साथ इस्लामिक अध्ययन करने वाले लोग मौलवी या मौलाना कहलाते हैं.
इनका काम लोगों को धार्मिक मामलों की शिक्षा देना होता है.