संसद में मोदी, अंबेडकर ने सारा जहर पीया और हमें अमृत दिया

लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने संविधान पर चर्चा करते हुए डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदानों को देश के लिए अभूतपूर्व करार दिया. मोदी ने कहा, 'बाबा साहब आंबेडकर ने यातनाएं सहीं, शोषण सहा था लेकिन उनके बनाए संविधान में किसी तरह की बदले की भावना नजर नहीं आती. अंबेडकर ने सारा जहर पीया और हमारे लिए अमृत छोड़कर गए.

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संसद में मोदी, अंबेडकर ने सारा जहर पीया और हमें अमृत दिया

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  • November 27, 2015 12:23 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने संविधान पर चर्चा करते हुए डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदानों को देश के लिए अभूतपूर्व करार दिया. मोदी ने कहा, ‘बाबा साहब आंबेडकर ने यातनाएं सहीं, शोषण सहा था लेकिन उनके बनाए संविधान में किसी तरह की बदले की भावना नजर नहीं आती. अंबेडकर ने सारा जहर पीया और हमारे लिए अमृत छोड़कर गए.
 
नरेंद्र मोदी ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘बाबा साहब का दर्द संविधान में शब्द के रूप में उभरा. उन्होंने बहुत कुछ झेला लेकिन संविधान बनाते समय देश के लिए सबसे अच्छी बातें शामिल कीं. उन्होंने जहर पी लिया.’ 
 
मोदी की स्पीच की अहम बातें
मोदी ने कहा कि संविधान के 60 साल पूरे होने पर मैंने बतौर मुख्यमंत्री गुजरात में हाथी पर उसकी सवारी निकलवाई थी. मैं खुद उसके आगे-आगे चला था. सरल भाषा में कहूं तो हमारे संविधान का मूल भाव डिग्निटी फॉर इंडियन और यूनिटी फॉर इंडियन है. कई लोगों का नाम इतना बड़ा है कि कोई उनका नाम ले या नहीं, उनका नाम मिट नहीं सकता.
 
मोदी ने कहा कि संविधान में भी सभी की भूमिका रही है. इस संविधान की जितनी सराहना करें, कम है. लाल किले पर से बोल चुका हूं कि इस देश में सभी सरकारों ने काम किया है. किसी ने उम्मीद से थोड़ा कम किया होगा. इस देश को राजाओं ने नहीं बनाया है. इसे गरीबों, शिक्षकों, मजदूरों और किसानों ने बनाया है. यह बात सही है कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस मनाते हैं लेकिन 26 नवंबर भी ऐतिहासिक दिन है. इस बात को भी उजागर करना अहम है. 26 जनवरी की ताकत 26 नवंबर में निहित है. 
 
मोदी ने कहा कि मैं भी अन्य सदस्यों की तरह एक सदस्य के तौर पर अपने भाव पुष्प अर्पित करने के लिए खड़ा हुआ हूं. सदन में इस कार्यक्रम को लेकर जो रुचि दिखाई गई, इसके लिए मैं सभी सदस्यों का हृदय से आभार प्रकट करता हूं. लोकसभा अध्यक्ष ने संविधान दिवस के मौके पर भाषण देने के लिए धन्यवाद देता हूं. हम सब लोकतंत्र की परिपाटी में पले-बढ़े लोग हैं. हमारे लिए आज संविधान और अधिक महत्‍वपूर्ण होता जा रहा है. जब सारे प्रयास विफल हो जाएं तब आखिरी रास्‍ता अल्‍पमत और बहुमत का हो जाता है. सहमति का रास्‍ता होना चाहिए. हर किसी का साथ और सहयोग होना चाहिए.
 

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