जब ना साबुन था ना सर्फ तब आखिर कैसे साफ होते थे राजा-रानियों के कपड़े
आपने कभी सोचा कि जब साबुन और सर्फ नहीं रहे होंगे तो कपड़े कैसे धुलते रहे होंगे.
जब भारत में साबुन का इस्तेमाल नहीं होता था. सोड़े और तेल के इस्तेमाल से साबुन बनाने की कला नहीं मालूम थी
राजघरानों के कपड़े तो उनके खास धोबी ही धोया करते थे, उनका काम इतना गजब का होता था
कपड़े बिल्कुल लकदक साफ होते थे, चाहे रेशम हो या मलमल, क्या मजाल कि कपड़े में कोई समस्या आ जाए.
भारत वनस्पति और खनिज से हमेशा संपन्न रहा है. यहां एक पेड़ होता है जिसे रीठा कहा जाता है,कपड़ों को साफ करने के लिए रीठा का खूब इस्तेमाल होता था.
राजाओं के महलों में रीठा के पेड़ अथवा रीठा के उद्यान लगाए जाते थे. महंगे रेशमी वस्त्रों को कीटाणु मुक्त और साफ करने के लिए
रीठा आज भी सबसे बेहतरीन ऑर्गेनिक प्रोडक्ट है. प्राचीन भारत में रीठे का इस्तेमाल सुपर सोप की तरह होता था.
भारत में आधुनिक साबुन की शुरुआत130 साल से पहले पहले ब्रिटिश शासन में हुई थी. इग्लैंड ने भारत में पहली बार आधुनिक साबुन बाजार में उतारने का काम किया.
पहले तो ये कंपनी ब्रिटेन से साबुन को भारत में आयात करती थी. उनकी मार्केटिंग करती थी.