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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ करेगा सुनवाई, कई खामियां होने का दावा

नई दिल्लीः तीन नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया गया है. याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. याचिका में दावा किया गया है कि नये आपराधिक कानूनों में कई विसंगतियां हैं. न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की अवकाश पीठ याचिका पर सुनवाई करेगी। याचिका में […]

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ करेगा सुनवाई, कई खामियां होने का दावा
  • May 20, 2024 8:34 am Asia/KolkataIST, Updated 7 months ago

नई दिल्लीः तीन नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया गया है. याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. याचिका में दावा किया गया है कि नये आपराधिक कानूनों में कई विसंगतियां हैं. न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की अवकाश पीठ याचिका पर सुनवाई करेगी।

याचिका में उठाए गए सवाल

SC में 3 नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ वकील विशाल तिवारी ने याचिका दायर की है। याचिका में बताया गया है कि नए आपराधिक कानूनों को लागू करने से रोक की मांग की है। आरोप लगाया गया है कि इन कानूनों पर संसद में बहस नहीं हुई और जब विपक्षी सांसद निलंबित थे, तब इन कानूनों को संसद से पास करा लिया गया था। याचिका में मांग की गई है कि विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जाए, जो आपराधिक कानूनों की व्यावहारिकता की जांच करे। याचिका में आरोप है कि नए आपराधिक कानून कही ज्यादा कठोर हैं और इससे देश में पुलिस का राज स्थापित हो हो सकता है। ये कानून देश के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। ये कानून अंग्रेजी कानूनों से भी अधिक कठोर हैं। पुराने कानूनों में किसी व्यक्ति को 15 दिनों तक पुलिस हिरासत में रखने का प्रावधान है, लेकिन नए कानूनों में यह सीमा बढ़ाकर 90 दिन कर दी गई है।

बीते वर्ष मिली थी मंजूरी

नए कानूनों में देशद्रोह कानून को नए अवतार में लाया जा रहा है और इसके दोषी को उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। 21 दिसंबर को, लोकसभा में 3 नए आपराधिक कानून पारित किए गए. भारतीय न्यायपालिका अधिनियम, भारतीय नागरिक सुरक्षा अधिनियम और भारतीय साक्ष्य अधिनियम। ये कानून भारत में मौजूदा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इन कानूनों को मंजूरी दे दी थी.

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