जानकारी के मुताबिक स्टील का निर्माण कार्बन में लोहा मिलाकर किया जाता है, जिससे लोहा कठोर हो जाता है.
इस कारण इसे सादा कार्बन स्टील या माइल्ड स्टील के नाम से भी जाना जाता है. जिसमें कम गलनांक के साथ कार्बन की मात्रा अधिक होती है.
वहीं दूसरी ओर स्टेनलेस स्टील में क्रोमियम की मात्रा अधिक होती है, जो स्टील की सतह पर एक अदृश्य परत बना देती है. जो उसे दाग लगने से बचाती है.
बता दें कि जब स्टील से स्टेनलेस स्टील तैयार किया जाता है, तो उसमें क्रोमियम, निकल, नाइट्रोजन और मोलिब्डेनम मिलाया जाता है.
स्टेनलेस स्टील संक्षारण प्रतिरोधी होता है तथा स्टील पर दाग और जंग लगने का खतरा रहता है. स्टेनलेस स्टील पर आसानी से जंग नहीं लगता और यह खराब भी नहीं होता है.
बता दें कि स्टील जो है वो स्टेनलेस स्टील की तुलना में थोड़ा अधिक मजबूत होता है, क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा कम होती है.
बता दें कि हल्के स्टील का वजन स्टेनलेस स्टील से कम होता है. कठोर बनाने के गुणों के कारण स्टेनलेस स्टील का वजन अधिक होता है.
बता दें कि स्टील स्टेनलेस स्टील से ज्यादा मजबूत होता है. यही कारण है कि निर्माण कार्यों में जहां जंग लगने का खतरा नहीं होता है.
वहां स्टेनलेस स्टील नहीं बल्कि साधारण स्टील का ही उपयोग किया जाता है. वहीं स्टेनलेस स्टील जो होता है वो स्टील से भारी होता है.
एक्सपर्ट के मुताबिक घरों में साधारण स्टील का इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि मजबूती के मामले में साधारण स्टील बेहतर होता है.