Surajbhan Singh V/S Anant Singh: बिहार की राजनीति में बाहुबली और राजनीति का संगम कोई नई बात नही है. मोकामा और लखीसराय में दशकों से दो नाम राजनीतिक सुर्खिया में रहें है. अनंत सिंह और सुरजभान सिंह दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में प्रभावशाली माने जाते है. लेकिन उनकी बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को बार-बार झकझोर दिया है. सवाल यह है कि यह टकराव कब और कैसे शुरू हुआ?
एक ही जमीन पर राजनीतिक प्रभाव
अनंत सिंह और सूरजभान सिंह दोनों ही मोकामा-लखीसराय क्षेत्र के कद्दावर नेता है. पहले वे एक ही राजनीतिक खेमे में थे और सहयोगी थे. हालांकि समय के साथ उनकी महत्वाकांक्षाएं आपस में टकराने लगी. क्षेत्र में प्रभाव ठेकों, पट्टों और राजनीतिक प्रभाव को लेकर विवाद बढ़ता गया. जिससे उनके रिश्तों में दरार आ गई.
अपराध से राजनीति तक का सफर
दोनों नेता कई गंभीर मामलों में फंसे रहे है. एक समय था जब सूरजभान सिंह का प्रभाव लखीसराय तक फैला हुआ था. जबकि अनंत सिंह को “मोकामा का बाहुबली” कहा जाता था. स्थानीय चुनाव और विधानसभा टिकट वितरण के दौरान उनके समर्थक के बीच बार-बार टकराव हुआ. जिससे पुरानी दुश्मनी और गहरी हो गई.
दुलार चंद की हत्या से दुश्मनी और गहरी हुई
लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी दुलार चंद यादव की हाल ही में हुई हत्या के बाद अनंत सिंह ने दोनों गुटों पर “सूरजभान का खेल” रचने का खुलकर आरोप लगाया. इस बयान से दोनों गुटों के बीच तनाव बढ़ गया और मोकामा का माहौल फिर से गरमा गया है. इस मामले ने पुरानी दुश्मनी को और भड़का दिया है.
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
दोनों नेता का स्थानीय स्तर पर मजबूत जनाधार है. जहां अनंत सिंह को “छोटे सरकार” के नाम से जाना जाता है, वहीं सूरजभान भाजपा और लोजपा खेमे में एक मजबूत नेता माना जाता है. अपनी-अपनी पार्टियों के बाद उनके राजनीतिक रास्ते कभी नहीं मिले.